Domestic Violation And Protection Law Hindi – सरकार को तभी कानून बनाना पड़ता है, जब सामजिक बंधन ढीले पड़ जाते हैं। कानूनी डंडे से सजा का भय दिखाया जाता है। इधर ऐसे कई कानून बने हैं जिनका उद्देश्य परिवार में सुख-चैन लाना है। ऐसा सोचा गया कि घरेलू हिंसा निषेधात्मक कानून बनने पर घरेलू हिंसा समप्त होगी? पर सच तो यह है कि इन कानूनों से सामजिक समस्याएं कम नहीं होतीं। फिर भी कानून बनने आवश्यक हैं। पारिवारिक परेशानियों के लिए कितनी बार कोई कचहरी जाए। कोर्ट का काम परिवार चलाना नहीं है। हर परिवार में पुलिस भी नहीं बैठाई जा सकती। कानून का डंडा भय उत्पन्न करने के लिए है।
Domestic Violation And Protection Law Hindi – भारत की प्रथम महिला आईपीएस अधिकारी किरण बेदी मानती हैं कि महिलाएँ ही महिलाओं पर अत्याचार का पहला कारण होती हैं ,यदि महिलाएँ तय कर लें कि जिस घर में महिलाएँ हैं वहां महिलाओं पर अत्याचार नहीं होगा, तो सब कुछ बदल सकता है। उनका मानना है कि समाज में महिला की स्थिति बदल रही है और आगे भी बदलेगी, लेकिन पाँच हजार साल की मानसिकता बदलने में वक्त लगेगा। हमें घरेलू हिंसा के ग्राफ में बढ़ोतरी दिख रही है, अभी तो महिलाओं पर अत्याचार के मामले और बढ़ते हुए दिखेंगे, लेकिन इसका कारण यह है कि महिलाओं में जागरुकता आ रही है और ज़्यादा महिलाएँ शिकायत करने पहुँच रही हैं। लेकिन शिकायत दर्ज करवाने के बाद भी सजा मिलने की दर बहुत कम है और सिर्फ सौ में से दो लोगों को सजा मिल पाती है।
सेंटर फॉर सोशल रिसर्च के आंकड़ों के अनुसार तीन साल प्रताडि़त होने के बाद एक हजार में से एक महिला ही शिकायत दर्ज करवाने पहुँचती है। भारत में घरेलू हिंसा के खिलाफ कानून अमल में आ गया है जिसमें महिलाओं को दुर्व्यवहार से सुरक्षा प्रदान करने का प्रावधान है। यह कानून महिलाओं को घरेलू हिंसा से बचाएगा क्योंकि केवल भारत में ही लगभग 70 प्रतिशत महिलाएँ किसी न किसी रूप में इसकी शिकार हैं।
घरेलू हिंसा विरोधी कानून से बड़ी उम्मीदें हैं। इसके तहत पत्नी या फिर बिना विवाह किसी पुरुष के साथ रह रही महिला मारपीट, यौन शोषण, आर्थिक शोषण या फिर अपमानजनक भाषा के इस्तेमाल की परिस्थिति में कार्रवाई कर सकेगी।
- अब बात-बात पर महिलाओं पर अपना गुस्सा उतारने वाले पुरुष घरेलू हिंसा कानून के फंदे में फंस सकते हैं।
- इतना ही नहीं, लडक़ा न पैदा होने के लिए महिला को ताने देना,
- उसकी मर्जी के बिना उससे शारीरिक संबंध बनाना या
- लडक़ी के न चाहने के बावजूद उसे शादी के लिए बाध्य करने वाले पुरुष भी इस कानून के दायरे में आ जाएंगे।
- इसके तहत दहेज की मांग की परिस्थिति में महिला या उसके रिश्तेदार भी कार्रवाई कर पाएँगे।
- महवपूर्ण है कि इस कानून के तहत मारपीट के अलावा यौन दुर्व्यवहार और अश्लील चित्रों, फिल्मों कोञ् देखने पर मजबूर करना या फिर गाली देना या अपमान करना शामिल है।
- पत्नी को नौकरी छोडऩे पर मजबूर करना या फिर नौकरी करने से रोकना भी इस कानून के दायरे में आता है।
- इसके अंतर्गत पत्नी को पति के मकान या फ्लैट में रहने का हक होगा भले ही ये मकान या फ्लैट उनके नाम पर हो या नहीं।
- इस कानून का उल्लंघन होने की स्थिति में जेल के साथ-साथ जुर्माना भी हो सकता है।
- लोगों में आम धारणा है कि मामला अदालत में जाने के बाद महीनों लटका रहता है, लेकिन अब नए कानून में मामला निपटाने की समय सीमा तय कर दी गई है। अब मामले का फैसला मैजिस्ट्रेट को साठ दिन के भीतर करना होगा।
दहेज पर कानून – दहेज प्रतिशोध अधिनियम,1961 – Dowry Law
शादी से संबंधित जो भी उपहार दबाव या जबरदस्ती के कारण दूल्हे या दुल्हन को दिये जाते हैं, उसे दहेज कहते है। उपहार जो मांग कर लिया गया हो उसे भी दहेज कहते हैं।
- -दहेज लेना या देना या लेने देने में सहायता करना अपराध है। शादी हुई हो या नहीं इससे फर्क नहीं पड़ता है। इसकी सजा है पाँच साल तक की कैद, पन्द्रह हजार रूञ्.जुर्माना या अगर दहेज की रकम पन्द्रह हजार रूञ्पये से ज्यादा हो तो उस रकम के बराबर जुर्माना।
- – दहेज मांगना अपराध है और इसकी सजा है कम से कम छःमहीनों की कैद या जुर्माना।
- -दहेज का विज्ञापन देना भी एक अपराध है और इसकी सजा है कम से कम छः महीनों की कैद या पन्द्रह हजार रूञ्पये तक का जुर्माना।
दहेज हत्या पर कानून – Law on Dowry Murder
(धारा 304ख, 306भारतीय दंड संहिता)
- -यदि शादी के सात साल के अन्दर अगर किसी स्त्री की मृत्यु हो जाए,
- -गैर प्राकृतिक कारणों से, जलने से या शारीरिक चोट से, आत्महत्या की वजह से हो जाए,
- -और उसकी मृत्यु से पहले उसके पति या पति के किसी रिश्तेदार ने उसके साथ दहेज के लिए क्रूर व्यवहार किया हो,
- तो उसे दहेज हत्या कहते हैं। दहेज हत्या के संबंध में कानून यह मानकर चलता है कि मृत्यु ससुराल वालों के कारण हुई है।
इन अपराधों की शिकायत कौन कर सकता हैः – Who will file Case
- 1. कोई पुलिस अफसर
- 2. पीडि़त महिला या उसके माता-पिता या संबंधी
- 3. यदि अदालत को ऐसे किसी केस का पता चलता है तो वह खुद भी कार्यवाई शुरूञ् कर सकता है।
भरण पोषण पर कानून
(धारा 125 दंड प्रक्रिया संहिता) महिला का भरण पोषण यदि किसी महिला के लिए अपना खर्चा- पानी वहन करना संभव नहीं है तो वह अपने पति, पिता या बच्चों से भरण-पोषण की माँग कर सकती।
विवाह संबंधी अपराधों के विषय में भारतीय दण्ड संहिता 1860 – Indian Panel Code on Marriage Crime
धारा 493 से 498 के प्रावधान करती है।
- धारा 493
धारा 493 के अन्तर्गत बताया गया है कि विधिपूर्ण विवाह का प्रवंचना से विश्वास उत्प्रेरित करने वाले पुरुष द्वारा कारित सहवास की स्थिति में, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिनकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा। - धारा 494
धारा 494 के अन्तर्गत पति या पत्नी के जीवित रहते हुए विवाह करने की स्थिति अगर वह विवाह शून्य है, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा। बहुविवाह के लिए आवश्यक है कि दूसरी शादी होते समय शादी के रस्मो-रिवाज पर्याप्त ढंग से किये जाएं। - धारा 494 क
धारा 494क में बताया गया है कि वही अपराध पूर्ववती विवाह को उस व्यक्ति से छिपाकर जिसके साथ पश्चात्वर्ती विवाह किया जाता है, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी। - धारा 496
धारा 496 में बताया गया है कि विधिपूर्ण विवाह के बिना कपटपूर्ण विवाहकर्म पूरा कर लेने की स्थिति में से वह दोनों में किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा। - धारा 497
व्यभिचार की स्थिति में वह व्यक्ति जो यह कार्य करता है वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि पांच वर्ष तक की हो सकेगी या जुर्माने से या दोनों से दण्डित किया जाएगा। ऐसे मामलों में पत्नी दुष्प्रेरक के रूप में दण्डनीय नहीं होगी। - धारा 498
धारा 498 के अन्तर्गत यह प्रावधान है कि यदि कोई व्यक्ति विवाहित स्त्री को आपराधिक आशय से फुसलाकर ले जाता है या ले आना या निरूञ्द्घ रखना है तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से दण्डित किया जाएगा। - धारा 498 क
सन् 1983 में भारतीय दण्ड संहिता में यह संशोधन किया गया जिसके अन्तर्गत अध्याय 20 क, पति या पति के नातेदारों द्वारा क्रूरता के विषय में, अन्त स्थापित किया गया इस अध्याय के अन्तर्गत एक ही धारा 498-क है, जिसके अन्तर्गत बताया गया है कि किसी स्त्री के पति या पति के नातेदारों द्वारा उसके प्रति क्रूरता करने की स्थिति में दण्ड एवं कारावास का प्रावधान है इसके अन्तर्गत बताया गया है कि जो कोई, किसी स्त्री का पति या पति का नातेदार होते हुए, ऐसी स्त्री के प्रति क्रूरता करेगा, उसे कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से दण्डित किया जाएगा।S
क्रूरताा दो तरह की हो सकती है – मानसिक तथा शारीरिक
- शारीरिक क्रूरता का अर्थ है महिला को मारने या इस हद तक शोषित करना कि उसकी जान, शरीर या स्वास्थ्य को खतरा हो।
- -मानसिक क्रूरता जैसे- दहेज की मांग या महिला को बदसूरत कहकर बुलाना इत्यादि।
- -किसी महिला या उसके रिश्तेदार या संबंधी को धन-संपति देने के लिये परेशान किया जाना भी क्रूरता है।
- -अगर ऐसे व्यवहार के कारण औरत आत्महत्या कर लेती है तो वह भी क्रूरता कहलाती है।
यह धारा हर तरह की क्रूरता पर लागू है चाहे कारण कोई भी हो केवल दहेज नहीं।
सती प्रथा पर कानून – Sati Partha Par Kanoon
(सती प्रथा निवारण अधिनियम, 1787)
- यदि कोई स्त्री सती होने की कोशिश करती है उसे छः महीने कैद तथा जुर्माने की सजा होगी।
- सती होने के लिए प्रेरित करना या सहायता करना
- यदि कोई व्यक्ति किसी महिला को सती होने के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रेरित करे या उसको सती होने में सहायता करे तो उसे
- मृत्यु दण्ड या उम्रकैद तक की सजा होगी।
समान काम, समान वेतन – Equal Work, Equal Salary
Domestic Violation And Protection Law Hindi – समानता का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 14 से 18 में है पर यह लैंगिक न्याय के दायरे में ‘समान काम, समान वेतन’ के दायरे में महत्वपूर्ण है। ‘समान काम, समान वेतन’ की बात संविधान के अनुच्छेद 39 (घ) में कही गयी है पर यह हमारे संविधान के भाग चार ‘राज्य की नीति के निदेशक तत्व’ के अन्दर है। महिलायें किसी भी तरह से पुरुषों से कम नहीं है। यदि वे वही काम करती है जो कि पुरुष करते हैं तो उन्हें पुरुषों के समान वेतन मिलना चाहिये। यह बात समान पारिश्रमिक अधिनियम में भी कही गयी है।
अनैतिक व्यापार पर कानून – Unethical business law
(धारा 366 क, 366ख, 372, 373 भारतीय दंड संहिता)
अनैतिक व्यापार :-
यदि कोई व्यक्ति किसी भी लड़की को वेश्यावृति के लिए खरीदता या बेचता है तो उसे दस साल तक की कैद और जुर्माना की सजा होगी।
अनैतिक व्यापार निवारण अधिनियम, 1956
यदि कोई व्यक्ति वेश्यावृति के लिए किसी व्यक्ति को खरीदता बेचता, बहलाता फुसलाता या उपलब्ध करवाता है तो उसे तीन से चौदह साल तक की कैद और जुर्माने की सजा होगी।
धारा 366 क भारतीय दंड संहिता :-
धारा 366 क के अन्तर्गत अप्राप्त लड़की को उपादान के बारे में बताया गया है। इसके अन्तर्गत कहा गया है कि जो कोई अठारह वर्ष से कम आयु की अप्राप्तवय लड़की को, अन्य व्यक्ति से आयुक्त संभोग करने के लिए विवश या विलुब्ध करने के आशय से या तद्द्वारा विवश या विलब्ध किया जाएगा, यह सम्भाव्य जानते हुए ऐसी लड़की को किसी स्थान से जाने को कोई कार्य करने को, किसी भी साधन द्वारा उत्प्रेरित करेगा, वह कारावास से जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेञ्गी दण्डित किया जाएगा और जुर्माना से भी दण्डनीय होगा।
धारा 366 ख भारतीय दंड संहिता :-
धारा 366 (ख) के अन्तर्गत विदेश से लड़की को आयात करने के बारे में बताया गया है कम आयु की किसी लड़की का भारत के बाहर उसके किसी देश से या जम्मू-कश्मीर से आयात उसे किसी अन्य व्यक्ति से आयुक्त संभोग करने के लिए विवश या विलुब्ध करने के आशय से या तद्द्वारा विवश या विलुब्ध की जाएगी, यह सम्भाव्य जानते हुए करेगा, वह कारवास से जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
धारा 372 भारतीय दंड संहिता :-
वेश्यावृत्ति आदि के प्रयोजन के लिए अप्राप्तवय को बेचने के बारे में प्रावधान करती है। इसके अंतर्गत बताया गया है कि जो कोई 18 वर्ष से कम आयु के किसी व्यक्ति को इस आशय से कि ऐसा व्यक्ति से आयुक्त संभोग करने के लिए या किसी विधि विरुद्ध या दुराचारिक प्रयोजन के लिए कम में लाया या उपयोग किया जाए या यह सम्भाव्य जानते हुए कि ऐसा व्यक्ति किसी आयु में भी ऐसे किसी प्रयोजन के लिए काम में लाया जाएगा, या उपभोग किया जाएगा, बेचेगा, भाड़े पर देगा या अन्यथा व्ययनित करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
(6 धारा के अन्तर्गत 2 स्पष्टीकरण दिये गये हैं।स्पष्टीकरण 1 के अन्तर्गत बताया गया है कि जबकि अठारह वर्ष से कम आयु की नारी किसी वेश्या को, या किसी अन्य व्यक्ति को, जो वेश्यागृह चलाता हो या उसका प्रबंध करता हो, बेची जाए, भाड़े पर दी जाए या अन्यथा व्ययनित की जाए, तब इस प्रकार ऐसी नारी को व्ययनित करने वाले व्यक्ति के बारे में,जब तक कि तत्प्रतिकूल साबित न कर दिया जाए, यह उपधारणा की जाएगी कि उसने उसको इस आशय से व्ययनित किया है कि वह वेश्यावृत्ति के उपभोग में लाई जाएगी।
स्पष्टीकरण -2 के अन्तर्गत आयुक्त सम्भोग से इस धारा के प्रयोजनों के लिए ऐसे व्यक्तियों में मैथुन अभिप्रेत है जो विवाह से संयुक्त नहीं है, या ऐसे किसी सम्भोग या बंधन से संयुक्त नहीं कि जो यद्यपि विवाह की कोटि में तो नहीं आता तथापि इस समुदाय की, जिसके वे हैं या यदि वे भिन्न समुदायों के हैं, जो ऐसे दोनों समुदायों की स्वीय विधि या रूञ्ढि़ द्वारा उनके बीच में विवाह सदृश्य सम्बन्ध अभिसात किया जाता है।
धारा 373 भारतीय दंड संहिता :-
वेश्यावृत्ति के प्रयोजन के लिए अप्राप्वय का खरीदना आदि के बारे में हैं जो कोई अठारह वर्ष में कम आयु के किसी व्यक्ति को इस आशय के बारे में है कि ऐसा व्यक्ति किसी आयु में भी वेश्यावृत्ति या किसी व्यक्ति से आयुक्त सम्भोग करने के लिए या किसी विधि विरुद्ध दुराचारिक प्रयोजन के लिए काम में लाया या उपयोग किया जाए या यह सम्भाव्य जानते हुए कि ऐसा व्यक्ति किसी आयु में भी ऐसे किसी प्रयोजन के लिए काम में लाया जाएगा या उपभोग किया जाएगा, खरीदेगा, भाड़े पर लेगा या अन्यथा उसका कब्जा अभिप्रेत करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
इस धारा के स्पष्टीकरण के अन्तर्गत बताया गया है कि अठारह वर्ष से कम आयु की नारी को खरीदने वाला, भाड़े पर लेने वाला या अन्यथा उसका कब्जा करने वाले तत्प्रतिकूल साबित न कर दिया जाए, यह उपधारणा की जाएगी कि ऐसी नारी का कब्जा उसने इस आशय से अभिप्रेत किया है कि वह वेश्यावृत्ति के प्रयोजनों के लिए उपभोग में लायी जाएगी।
छेड़खानी पर कानून – Law on Flirting
(धारा 509,294, भारतीय दंड संहिता)
शब्द, इशारा या मुद्रा जिससे महिला की मर्यादा का अपमान हो
यदि कोई व्यक्ति किसी स्त्री की मर्यादा का अपमान करने की नीयत से किसी शब्द का उच्चारण करता है या कोई ध्वनि निकालता है या कोई इशारा करता है या किसी वस्तु का प्रदर्शन करता है, तो उसे एक साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों की सजा होगी।
अश्लील मुद्रा, इशारे या गाने
यदि कोई व्यक्ति दूसरों को परेशान करते हुए सार्वजनिक स्थान पर या उसके आस-पास कोई अश्लील हरकत करता है या अश्लील गाने गाता, पढ़ता या बोलता है, तो उसे तीन महीने कैद या जुर्माना या दोनों की सजा होगी।
स्त्री के अभद्र रूप से प्रदर्शन पर कानून
(स्त्री अशिष्ट् रूप (प्रतिशेध) अधिनियम 1986) स्त्री का अभद्र रूप या चित्रांकनः यदि कोई व्यक्ति विज्ञापनों, प्रकाशनों, लेखों, तस्वीरों, आकृतियों द्वारा या किसी अन्य तरीके से स्त्री का अभद्र रूपण या प्रदर्शन करता है तो उसे दो से सात साल की कैद और जुर्माने की सजा होगी।
कार्यस्थल पर यौन शोषण पर कानून
(उच्चतम न्यायालय का विशाखा निर्णय, 1997)
- -कार्यस्थल पर किसी भी तरह के यौन शोषण जैसे शारीरिक छेड़छाड़, यौन संबंध की माँग या अनुरोध, यौन उत्तेजक कथनों का प्रयोग, अश्लील तस्वीर का प्रदर्शन या किसी भी अन्य प्रकार का अनचाहा शारीरिक, शाब्दिक, अमौखिक आचरण जो अश्लील प्रकृति का हो, की मनाही है।
- -यह कानून उन सभी औरतों पर लागू होता है, जो सरकारी, गैर सरकारी, पब्लिक, सार्वजनिक या निजी क्षेत्र में कार्य करती हैं।
- -पीडि़त महिला को न्याय दिलाने के लिए हर संस्था/दफ्तर में एक यौन शोषण शिकायत समिति का गठन होना आवश्यक है। इस समिति की अध्यक्ष एक महिला होनी चाहिए। इसकी पचास प्रतिशत सदस्य महिलाएं होनी चाहिए तथा इसमें कम से कम एक बाहरी व्यक्ति को सदस्य होना चाहिए।
अन्य यौन अपराध से सम्बंधित कानून
धारा 354 भारतीय दंड संहिता :-
- स्त्री की मर्यादा को क्षति पहुंचाने के लिए हमले या जबरदस्ती का इस्तेमाल
- यदि कोई व्यक्ति किसी महिला की मर्यादा को भंग करने के लिए उस पर हमला या जबरदस्ती करता है, तो उसे दो साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों की सजा होगी।
- अपहरण पर कानून (धारा 363 क भारतीय दंड संहिता)
अपहरण: किसी नाबालिग लड़के, जिसकी उम्र सोलह साल से कम है या नाबालिग लड़की, जिसकी उम्र अट्ठारह साल से कम है, को उसके सरंक्षक की आज्ञा के बिना कहीं ले जाना अपहरण का अपराध है तथा इसके लिए अपराधी को सात साल की कैद और जुर्माना हो सकता है अगर कोई बहला फुसला कर भी बच्चों को ले जाए तो कहने को तो बच्चा अपनी मर्जी से गया, लेकिन कानून में वह अपराध होगा।