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25/04/2017

तलाक होने के कारण क्या है? – Divorce Reasons Hindi | Ishan LLB

तलाक होने के कारण क्या है? – Divorce Reasons Hindi

Divorce Reasons Hindi

Divorce Reasons Hindi – आजकल पति-पत्नी के बीच में तलाक (Divorce) होने की समस्या एक प्रकार की मुख्य समस्या बनती जा रही है। इसके होने का सबसे मुख्य कारण पति-पत्नी के बीच में मनमुटाव होना, संबंधों में कड़वाहट उत्पन्न होना, सेक्स से संबंधित समस्या होना तथा एक-दूसरे की सोच न मिल पाना आदि होता है।

यह उन पति-पत्नियों में होता है जो अपने वैवाहिक जीवन के कर्तव्य को ठीक प्रकार से नहीं निभा पाते। यह समस्या कोई नयी बात नहीं है क्योंकि यह आदम और हव्वा के जमाने से चली आ रही है लेकिन इसमें अंतर सिर्फ इतना है कि आज सामाजिक ढांचा बिल्कुल बदल गया है जिसके कारण से वैवाहिक जीवन के पारस्परिक मतभेद समस्या के रूप में प्रतीत होते हैं। पहले जमाने यह अधिकतर इसलिए नहीं देखने को मिलता था क्योंकि पहले धार्मिक, सामाजिक व नैतिक मान्यताओं का बोल-बाला अधिक था, जबकि आज न केवल इन मान्यताओं के बंधन ही अत्यधिक शिथिल हो गए हैं। इसको कानून ने भी छूट दे रखी है। इसलिए पति-पत्नी तलाक का सहारा लेकर अपने वैवाहिक जीवन के बंधन को तोड़ देते हैं। पहले की अपेक्षा आज हम विवाह से बहुत अधिक अपेक्षा करने लगे हैं। आज बहुत से लोग सामाजिक व सांस्कृतिक परिवर्तनों को गलत ढंग से अपनाते जा रहे हैं।

वैसे कहा जाता है कि दाम्पत्य जीवन के मतभेदों का उत्तरदायित्व या तो पुरुष के व्यक्तित्व या विवाह बंधन या फिर आंतरिक संबंधों पर होता है और उन्हें उपरोक्त श्रेणियों में से किसी में भी दिया जा सकता है।

हम जानते हैं कि वैवाहिक जीवन को सफल बनाने के लिए पति-पत्नी को अपना स्वभाव अपने साथी के अनुकूल बनाना चाहिए। जब पति-पत्नी में से किसी में भी अपने चरित्र तथा भाव, अपनी कुशलता और किसी कार्य को करने या उसके विषय में सफलता पति-पत्नी के चरित्र, भाव, किसी कार्य को करने या उसकी सफलता या विफलता पर निर्भर करती है। अधिकतर यह भी देखने को मिलता है कि भावात्मक रूप से अपरिपक्व, स्नायविक विकार से पीड़ित और मानसिक रूप से अव्यवस्थित व्यक्ति किसी भी मानवीय संबंधों में सामंजस्य नहीं बैठा पाते और जिसमें आत्मविश्वास का सर्वथा अभाव रहा हो तो वह पति से मामूली विवाद होते ही मायके का रूख करेगी या फिर किसी सहेली के यहां जा पहुंचेगी।

अधिकतर यह भी देखने को मिलता है कि विवाहोपरांत व्यक्ति के व्यक्तित्व में परिवर्तन आ जाता है। इसका कारण अधिकतर विवाह के बाद नया संबंध जुड़ना होता है। कुछ पुरुष तो शादी करने के बाद विवाहित जीवन से सुखद वातावरण, नवीन चेतना और सुरक्षा को महसूस करके व्यवहारिक रूप से अधिक अनुभवी हो जाते हैं लेकिन विवाह के बाद इस बात की अधिक शंका होती है कि वे स्थायी व्यक्तित्व का परिचय दैनिक जीवन मे भी देते हैं अथवा नहीं।

बहुत से अनुभवियों का कहना है कि जिन स्त्री-पुरुषों में सहयोग, सहानुभूति तथा सहनशक्ति आदि गुण होते हैं, वे ही अच्छे पति तथा पत्नी बन पाते हैं जो गैर जिम्मेदार और दूसरों पर हावी रहने वाला पुरुष होता है वह विवाह के बाद भी वैसा ही रहता है। इस प्रकार की धारणा लिए हुए जब कोई स्त्री-पुरुष विवाह के बंधन से जुड़ता है तो वह अपने मन में यह सोचता है कि वह अपने साथी के व्यवहार को निश्चय ही अपने अनुकूल बना लेगा, लेकिन ऐसी सोच वाले स्त्री-पुरुष को अधिकतर निराशा ही हाथ लगती है।

बहुत से स्त्री-पुरुष तो ऐसे होते हैं जिनको शादी का मतलब बिल्कुल भी पता नहीं होता है, उन्हें यह भी पता नहीं होता कि शादी करने के बाद अपने साथी को सुख देने की पूरी जिम्मेदारी हमारी बनती है। वे अपने सुख को अधिक महत्व देते हैं और इस कारण से दूसरे साथी को अधिक परेशानी होने लगती है जिसके कारण से उसके मन में अपने साथी के प्रति मनमुटाव हो जाता है जिसके कारण से अंत में उन दोनों के बीच में तलाक (Divorce)  तक की नौबत आ जाती है।

बहुत से लोग तो ऐसे भी होते हैं जो विपरीत परिस्थितियां होने के बाद भी अपने विवाहित जीवन को सुखी बना लेते हैं और शेष जीवन के प्रति दृष्टिकोण और मान्यताएं उन्हें विवाहित जीवन के कष्टों एवं असुविधाओं से दूर रखती हैं। इसके विपरीत जो लोग अपने अनुकूल परिस्थितियों के अनुसार कार्य नहीं कर पाते उनके वैवाहिक जीवन में तलाक (Divorce)  होने तक नौबत आ जाती है।

वैसे देखा जाए तो किसी भी व्यक्ति के विवाहित जीवन का स्वरूप इस बात पर निर्भर करता है कि वह किस प्रकार की सोच वाला व्यक्ति है और उसे किस प्रकार की सोच वाली स्त्री शादी के लिए चाहिए होगी। यदि ऐसे व्यक्ति की सोच के विपरीत लड़की से उसकी शादी हो जाती है और वह लड़की अपने आपको उसकी सोच के अनुकूल बनाने में समर्थ नहीं हो पाती तो ऐसे पति-पत्नी के बीच में तलाक (Divorce)  होने की समस्या उत्पन्न हो सकती है।

जैसे-जैसे व्यक्ति की आयु बढ़ती जाती है वैसे-वैसे व्यक्ति का मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक स्तर पर पूर्ण रूप से विकास होने लगता है, कुछ व्यक्तियों में यह विकास की गति धीरे-धीरे होती है तो कुछ में तेज और कुछ में सामान्य रूप से तथा कुछ व्यक्ति के विचारों, क्रियाकलापों तथा अनुभवों में बचपन की झलक लगी रहती है। इस प्रकार के लक्षणों में परिवर्तन पति के साथ-साथ पत्नी में भी होते हैं तो उनके वैवाहिक जीवन में तलाक करने की नौबत नहीं आ सकती, लेकिन यदि इस प्रकार की विकास की प्रक्रिया में अंतर पति-पत्नी दोनों में से किसी एक को होती है तो भी उनमें तलाक (Divorce)  होने तक की नौबत आ सकती है।

वैवाहिक जीवन में पति-पत्नी दोनों में से किसी को सेक्स की कमजोरी हो और वे एक-दूसरे को ठीक प्रकार से सुख नहीं दे पा रहे हो और इस बात को लेकर उनमें अधिक तू-तू, मैं-मैं हो रही हो तथा दोनों में रोज प्रतिदिन बहस हो और झगड़े तक की स्थिति हो रही हो तो ऐसी स्थिति में तलाक (Divorce) लेने की समस्या उत्पन्न हो जाती है।

बहुत से लोग तो भावात्मक रूप से मजबूत होते हैं और वे स्वतंत्रता की भावना का विकास कर लेते हैं। उनमें आत्म-निर्भरता का संचार आ जाता है और अपने निजी निश्चयों और फैसलों को करने की योग्यता आ जाती है। वह वास्तविकता को समझने में पूर्ण रूप से सक्षम हो जाता है तथा उससे बचने के लिए न तो वह सुखद कल्पनाओं का सहारा लेता है और न ही निद्राकारक या उत्तेजक साधनों का। भावात्मक रूप से मजबूत होने का एक लक्षण यह भी होता है कि किसी अन्य के प्रति प्रेम प्रदर्शन करने की योग्यता है। वैसे देखा जाए तो बचपन में बच्चा उन्हीं चीजों को मांगता है जो उसकी इच्छाओं और आवश्यकताओं को संतुष्टि प्रदान करती है। बच्चे में अपने प्रेम को बांटने की भावना नाम मात्र ही होती है जबकि बड़े व्यक्तियों का प्रेम बिल्कुल ही अलग किस्म का होता है, उसमें दूसरे व्यक्ति के लिए प्रेरणा, अनुभवों को दूसरे को देने की भावना, विचारों का आदान-प्रदान करने की भावना तथा अधिकारों को देने या लेने की इच्छा होती है।

व्यक्तियों की इच्छा का स्वरूप केवल खुशी प्राप्त करना ही नहीं बल्कि खुशियां प्रदान करना भी होता है, संतुष्टि प्राप्त करना ही नहीं अपितु अपने प्रिय व्यक्ति को संतुष्टि प्रदान करना भी है। प्रेम का यही स्वरूप विवाहित जीवन की सफलता के लिए अत्यावश्यक है। लेकिन जब इस प्रकार की भावना होने के अतिरिक्त व्यक्ति अपनी खुशी को अधिक महत्व देने लगे उसमें स्थिति के अनुरूप कार्य करने की पूर क्षमता आ जाती है। इसके कारण से पति-पत्नी दोनों के बीच कुछ भी खटपट होने लगता है और उसका निवारण जल्द न हुआ तो नौबत तलाक (Divorce) लेने तक पहुंच जाती है।

पति-पत्नी के संबंधों में मतभेद होने के अनेक कारण हो सकते हैं लेकिन लगभग सभी कारणों को तीन मुख्य श्रेणियों में बांटा जा सकता है जो इस प्रकार हैं-  

  • पति-पत्नी की सोच तथा कार्य एक-दूसरे के विपरीत होना- बहुत से दम्पत्तियों के जीवन में साथियों की सोच तथा कार्य में मेल न हो पाने तथा उनकी मान्यताओं, स्वभावों और रुचियों में अत्यधिक अंतर देखने को मिलता है, जिसके कारण से उनमें आपस में प्रेम नहीं होता, एक-दूसरे में असंतोष की भावना होने लगती है और वे अंत में अपनी इस समस्या को दूर करने के लिए तलाक (Divorce) का सहारा लेते हैं।
  • आपस में एक-दूसरे के कार्य के प्रति अवरोध होना – यह कारण भी तलाक (Divorce) का सबसे मुख्य कारण होता है क्योंकि यदि पति-पत्नी में से किसी में भी यह भावना आ जाए तो वह अपने साथी के कार्य से खुश नहीं होगा और उसे हर वक्त नीचा दिखाने की कोशिश करेगा और इसकी वजह से परिवार में लड़ाई झगड़े होने तक की नौबत आ जाती है। इसका अंत में परिणाम यह निकलता है कि पति-पत्नी आपस में तलाक लेने के लिए मजबूर हो जाते हैं।
  • पति-पत्नी में मतभेद होने का बाहरी प्रभाव होना- आर्थिक, सामाजिक या माता-पिता का पति-पत्नी के सामान्य संबंधों में हस्तक्षेप करना, पति-पत्नी के संबंधों में किसी दूसरे का दखल या सेक्स से संतुष्ट न होने के कारण से किसी दूसरे को चाहना आदि कारणों से तलाक (Divorce) लेने की नौबत आ सकती है।

सेक्स कमजोरी के कारण से तलाक होने की स्थिति उत्पन्न होना-   

  • यदि कोई भी पुरुष अपनी पत्नी को ठीक प्रकार से सेक्स संतुष्टि नहीं दे पाता है तो उसकी पत्नी का ध्यान पराये मर्द की तरफ खिचने लगता है क्योंकि अतृप्ति की स्थिति में किसी भी स्त्री के कदम बहकने लगते हैं। यदि उसके कदम इस प्रकार से बहक गए तो वह किसी और पुरुष के साथ संबंध बना लेगी। इस स्थिति में जब पति को यह पता चलेगा कि उसकी पत्नी का किसी दूसरे पुरुष से संबंध है तो उसके और पत्नी के बीच में टकराव की स्थिति पैदा हो जाएगी। अंत में इसका यह परिणाम होगा कि वे एक-दूसरे से तलाक (Divorce) लेने पर मजबूर हो जाएंगे।  
  • बहुत से पुरुष तो ऐसे भी होते हैं कि शादी करने के बाद कुछ वर्षों तक तो सेक्स क्रिया का भरपूर आनन्द लेते हैं लेकिन जैसे-जैसे समय गुजरता जाता है वैसे-वैसे उसकी सेक्स करने की इच्छा में कमी आने लगती है, जिसके कारण से उसका अपनी पत्नी के साथ तकरार होने लगता है। इस स्थिति में स्त्री अपने पति से संतुष्ट नहीं होती जिसके कारण अक्सर यह देखा गया है, वह अपने पति से तलाक (Divorce) लेने के लिए कोर्ट का सहारा लेती है।  
  • बहुत से पुरुष तो ऐसे होते हैं जो रात में तो अपने पत्नी को रानी बनाकर रखते हैं और दिन उससे नौकरानी जैसा व्यवहार करते हैं तथा उसे बात-बात पर डांटते रहते हैं। ऐसा व्यवहार अपनी पत्नी के साथ न करें क्योंकि इससे अपका वैवाहिक जीवन तबाह हो सकता है और तलाक (Divorce) तक की नौबत आ सकती है।

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